Thursday, February 15, 2007

गज़ल

वक्त क्या कुछ सिखा देता है |

चांद को रोटि बना देता है ||

एक सच हम भी समझ गये है |

झूट आगे बडा देता है ||

सच और झूट का फर्क मत पुछो |

जी दहला देता है ||

कितना बदल गया है "रुह" |

खोटा सिक्का चला देता है ||

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