अंगने चिडिया बैठ के, बौली सुनो संदेस |
प्रित है हर-सू एक सी, भटकी इतने देस ||
एक आँख मे संसार है,एक आँख मे प्यार |
अब है मरजी आपकी जिसे भी दें विस्तार ||
सभी के अपने दुख है,कौन खाली हाथ |
बाँटिए अब दुख को अपने,जाकर किसके साथ ||
मैं भी यां खामोश हूं,और तू भी है मौन |
बूझ पहेली आँखो से, बौल रहा है कौन ||
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1 comment:
I Like this very much....Specially line
बूझ पहेली आँखो से, बौल रहा है कौन ||
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