वो आ गई
उसी की प्रतिक्षा थी |
गौरी सौलह-सिंगार किये
नयनो मे प्यार लिये,
शुभ्र वस्त्र तन पर, कंठ मे हार,
पग मे पायल, हाथ कंगन धार,
नयनो मे काजल,गालों पर लाली,
माथे पर बिंदिया, केशो मे वेणी,
सोंदर्य मूर्ति, अनूपम सुंदरी,
वो जीसकी अत्यंत आकांशा थी,
वो सुखद अपूर्व घडी,
वो मिलन से पूर्व की घडी,
आज प्रित के मंडियाल तले,
प्रिय मिलन का संदेश ले
आ गई है|
मैं इस घडी का
अभीनंदन करता हूँ |
Wednesday, February 14, 2007
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