मैं जी भर रोना चाहता हूं |
खुद को भिगोना चाहता हूं ||
दर्दो-ग़म और जो कुछ भी |
पाया मैने,खोना चाहता हूं ||
बरसों का जागा हुआ हूं |
अब जरा सोना चाहता हूं ||
बहूत कुछ अब तक हुआ |
अब ना कुछ होना चाहता हूं ||
अभी तक तो बदन ढोया |
अब 'रुह' ढोना चाहता हूं ||
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