एक लम्बी सांस ,
लम्बा चल कर थकने के बाद,
उपर गगन में
छौङ दी मैने |
एक क्षण बीता !
और गुंजा स्वर विस्फोट का |
मैने देखा
टकरा कर नश्ट हो गयी वो...
किसी दुसरी सांस से,
छौङी थी जो सांस मैने
उपर आकाश मे मुख से |
Wednesday, February 14, 2007
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