मै सोना चाहता हूं,
मगर निंद नही आती |
काश कोई दे दे
ओक भर निंद,
मैं पि कर जिसे
प्यास बुझा लूं |
काश कोई दे दे
एक तुकडा ख्वाब,
मैं खाकर जिसे
भुख मिटा लूं |
शायद तब मुझे निंद आ जाए |
शायद !
Wednesday, February 14, 2007
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