Wednesday, February 14, 2007

प्रार्थना

(१)
एक भीनी सी खुशबू उठी,
और मेरे पुरे बदन मे समा गई |
(२)
एक रोशनी बरसी
और मैं भीग गया |
(३)
रात, जमी पलकों पर ओस की बुंदे,
हिरे सी चमकने लगी |
(४)
निली चादर ओढे,
वो उदित हुआ आकाश मे |
(५)
मैने सर झुकाया,
की प्रार्थना,
सम्पूर्ण इयत्ता से,
" मुझे भी अपने मे मिला लो " |
(६)
और मैं आकाश की
गहराइयों मे खो गया |

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