Friday, February 16, 2007

ग़ज़ल

शायद हो कभी कम ना |
ये उम्र भर का तडपना ||
सहरा सी अपनी किस्मत |
ये प्यास और वो तपना ||
गार्डन मे बैठें,धुप सेकें |
कभी पाया ऐसा पल ना ||
दर्द-ग़म,थोडी सी खुशी |
क्या खुब जीवन अपना ||
तौबा!ये रोज़ का रुटिन |
वही,फिर वही करना ||
यहां भी सुख,वहां भी सुख |
हां ! सुंदर तो है सपना ||
देखो संभालो जीवन 'रुह' |
पडे उसमे कहीं सल ना ||

No comments: