Monday, February 19, 2007

सब देखा है हमने

सब देखा है हमने,वक्त बुरा भी अच्छा भी

एक वक्त था जब, रात उदास होती थी
आंसू तो बहते नही थे, पर आंख रोती थी
वो पतझड का मौसम था एक जीवन मे
सुख का नही था एक हरा पत्ता भी |

कभी रोजी-रोटि की तलाश भी थी
अर्श से फलक की मन मे आस भी थी
रोज़ अखबार के पन्ने पलटते थे
जाना तभी हमने शहर का नक्शा भी

तरुण था,मन अक्सर मचलता था
भावनाओ के आवेश मे बहकता था
होता था स्पंदित था प्रित कि तरंग से
कभी रोता था मन, कभी हंसता भी |

आज जीवन जाने किस छोर खडा है
यहां से हर रास्ता, हर मोड नया है
सब कुछ पास है , वक्त भी साथ है
यही मंजील है , यही है रास्ता भी

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