Monday, February 19, 2007

मैं

हां दरवेश दिवाना हूं मैं |
हां कलंदर मस्ताना हूं मैं ||
हर ग़मो-फिक्र से दुर हूं |
हर रंज से अंजाना हूं मैं ||
शम्अ से दुर रहूं कैसे |
आखिर एक परवाना हूं मैं ||
कर नादानी खुश रहता हूं |
दानाओं से कितना दाना हूं मैं ||
ज़मी-आसमां,जिस्म,"रुह" |
मस्जिदो-बुतखाना हूं मैं ||

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