रात छत से अपनी ,
वो पंजो के बल उचका,
चांद को छुने के लिये |
मैं जानता हूं , कि वो..
जानता था यूं कभी चांद
हाथ आया नहीं करता |
और मैं जानता हूं की ये..
चांद छुना एक बहाना था,
वो मौत चाहता था |
Monday, February 19, 2007
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