Monday, February 19, 2007

तुम्हारे लिये

तुम मुझे मिलो भी न, न मिलो तुम मुझे
मै आकाश-पाताल एक करता भी रहूं
बस तुम्हारे लिये जानम ! तुम्हारे लिये |

जैसे चले गये हों बादल बिन बरसे
और तरसे ज़मीं , मै तरसता ही रहूं
बस तुम्हारे लिये जानम ! तुम्हारे लिये |

मै इश्क की राहों का राही आवारा
ठोंकरें खाता हुवा , भटकता ही रहुं
बस तुम्हारे लिये जानम ! तुम्हारे लिये |

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