क्षण भर में हो जाता है, अपरीचित भी परीचित |
एक आनंद भर जाता है अंर्तमन में,
अस्त-व्यस्त जीवन गती आ जाये सम में,
गीत-संगीत की माला बंध जाती है लय से,
एक सुवास उठने लगती है ह्रदय से,
प्रेम पूष्प ह्रदय मे जब हो जाता है गुम्फित |
क्षण भर में हो जाता है, अपरीचित भी परीचित ||
अदम्य उर्जा अनूभुत करने लगता है तन ,
सुदूर क्षितिज पर उडने लगता है मन,
नयन देखने लगते है सर्वत्र ही सुंदर,
नही रह जाता जगत मे कुछ भी असुंदर,
मुख-पत्र पर प्रिती जब हो जाती है अंकित |
क्षण भर में हो जाता है, अपरीचित भी परीचित ||
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