तङपता रहेगा जी उससे मिलन के लिये |
फिर न दोष देना दिल को रुदन के लिये ||
अश्रु भरी लम्बी रातें, दुख भरे दिवस |
ये कुछ नया नही है, इस लगन के लिये ||
नेह लगाया गर तो सहने होंगे लाखो ग़म |
प्रेम कठीन है अत्यधिक वहन के लिये ||
एक आग है प्रेम "रुह", एक आग है प्रेम |
न खेलना इससे महज़ तपन के लिये ||
एक इश्क ही तो नही है "रुह" इस जहां मे |
फिर जीद क्यो तेरी इसके वरण के लिये ||
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