जला डालो यारों पूराने अंदाज़ की किताबें |
जल्द ही लिखूंगा मैं नई आवाज़ की किताबें ||
जमीं के लोगो तुम भी सिख जाओगे उडना |
लाउंगा मैं तुम्हारे लिये परवाज़ की किताबें ||
ठंडी पडी है आग बगावत की सीनो मे |
लानी होंगी इंकलाब के आग़ाज़ की किताबें ||
दबा रखा है जहां ने दिल मे क्या-क्या |
खोल डालूंगा मैं वो सारी राज़ की किताबें |
खोये ही रहोगे कल मे की आँखे भी खोलोगे |
खुली है सामने तुम्हारे आज की किताबें ||
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment