तुम कब आओगे ! कहो तो ?
बैठी मैं प्रतिक्षा मे तुम्हारी
दिवस पूर्ण औ रात्री सारी |
निंद्रा भी न नयनो मे उतारी
कितना तरसाओगे ! कहो तो ?
थकी मैं तो भैज-भैज पाति
उत्तर तो कुछ भी न पाती |
कब तक ओ जीवन साथी
विरह मे जलाओगे ! कहो तो ?
नित जब गोधुली बेला आये
नयन मेरे नीर बहाये |
ऐकाकी जीवन काटा न जाये
द्वेत सुख कब लाओगे ! कहो तो ?
आये जब निंद्रा कभी रात्रि
स्वप्न मे आते प्राण तुम ही |
किंतु क्या प्रिय स्वप्न ही
बने रह जाओगे ? कहो तो ?
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