कौन है रे तू,
मेरे प्राणो को व्याकुल करती |
आगमन की अनुभूति है ,
तेरे अनागमन मे भी |
आस मे बैठा हूं आए कोई हवा
तो गंध तेरी ले आए,
कोई यायावर चिडिया
नाम तेरा चहचहाए |
देख मेरे मन की उदासी,
देख मेरे मन की निरवता ,
की उदास है दिन भी,
और निरव शाम |
सौभाग्य ही होगा मेरा
की जीवन के इस अंधेरे मे
तेरी आशा के दिप
कर सकें उजाला
चाहे दो कदम दुर तक ही सही |
मेरा रास्ता तय हो जाएगा |
उग जायेगी , तेरे नाम की सरसों,
मेरी इन हथेलियों पर |
Wednesday, February 14, 2007
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