Thursday, February 15, 2007

हे नीर बरसो

हे नीर बरसो !

नेत्राकाश मे छाई भाव घटा,
उमडे मेघ, छाई प्रेम छटा,
अब क्या विलम्ब ओ प्रतिक्षा |

हे नीर बरसो !

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